
Anil galgali : मंत्री पद पाने के लिए लॉबिंग करना, हाईकमान को मनाना और सभी को पिछाड़ने के लिए राजनीतिक व्यूहरचना करना और मंत्री पद मिलते ही फिर मंत्रिमंडल की बैठक से नदारद रहना, यह वास्तविकता सामने आई हैं राज्य की शिवसेना, काँग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस के मंत्रियों को लेकर। मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने अब तक बुलाए हुई बैठक में किसी भी मंत्री ने शत प्रतिशत हाजिरी दर्ज नहीं की हैं। इन ‘दांडीमार’ मंत्रियों में शिवसेना के शंकरराव गडाख ने बाजी मारते हुए उसके बाद डॉ राजेंद्र शिंगणे, उदय सामंत, सुनील केदार, धनंजय मुंडे, संदीपान भुमरे, हसन मुश्रीफ, डॉ नितीन राऊत, विजय वडेट्टीवार का नंबर आता हैं।
उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने मुख्यमंत्री पदभार संभालने ले बाद २८ नवंबर २०१९ को पहली मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई थी। तबसे लेकर २३ दिसंबर २०२१ तक मंत्रिमंडल की ९४ बैठक हुई। उस बैठक में मंत्रियों की उपस्थिती का ब्यौरा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मांगा था। मुख्य सचिव कार्यालय ने अनिल गलगली को ९४ बैठक का ब्यौरा दिया हैं। इसमें उन ८ बैठक में सिर्फ उद्धव ठाकरे, छगन भुजबल, जयंत पाटील, बालासाहेब थोरात, डॉ नितीन राऊत, एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई यह ७ ही लोग मंत्रिमंडल में थे। उसके बाद ८६ बैठक हुई हैं।
९४ पन्ने वाले ब्यौरा में मृद व जलसंधारण मंत्री शंकरराव गडाख ने सबसे अधिक दांडी मारते हुए २६ बार अनुपस्थित थे। उसके बाद अन्न व औषध प्रशासन मंत्री डॉ राजेंद्र शिंगणे २१, उच्च व तंत्र शिक्षा मंत्री उदय सामंत २०, पशुसंवर्धन मंत्री सुनील केदार २०, सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे १९, रोजगार गारंटी मंत्री संदिपान भुमरे १९, ग्राम विकास मंत्री हसन मुश्रीफ १६, पूर्व वन मंत्री संजय राठोड १६, ऊर्जा मंत्री डॉ नितीन राऊत १५, भूकंप पुनर्वसन मंत्री विजय वडेट्टीवार १५, कृषी मंत्री दादाजी भुसे १३, शिक्षा मंत्री प्रो वर्षा गायकवाड १३, गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटील १२, वैद्यकीय शिक्षा मंत्री अमित देशमुख १२, ग्राम विकास मंत्री जयंत पाटील १२, सहकार मंत्री बालासाहेब पाटील १२, आदिवासी विकास मंत्री एड के सी पाडवी १२, महिला व बालविकास मंत्री एड यशोमती ठाकूर सोनवणे १२, जलआपूर्ति मंत्री गुलाबराव पाटील ११, अन्न नागरी पुरवठा मंत्री छगन भुजबल ९, नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे ९, सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण ९, संसदीय कार्य और परिवहन मंत्री एड अनिल परब ८, सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ८, पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ७, राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात ७, वस्त्रोद्योग मंत्री असलम शेख ७, माजी गृहमंत्री अनिल देशमुख ६, गृहनिर्माण मंत्री डॉ जितेंद्र आव्हाड ५, उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ५, अल्पसंख्याक मंत्री नवाब मलिक ४, मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे २ और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार २ ऐसे आंकड़े हैं। इसमें कई बार मंत्रियों में प्रत्यक्ष सहभागिता लिए बना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा उपस्थित हुए वहीं कईओ ने लिखित अनुरोध कर अनुपस्थित रहे।
अनिल गलगली का कहना हैं कि मंत्रिमंडल की बैठक महत्वपूर्ण हैं और अपने विभाग का प्रस्ताव मंजूर कर लोगों को राहत दिलाने का मौका होते हुए उनकी अनुपस्थिति नैतिकता के नजरिए से ठीक नहीं हैं। एकबार दो बार समझा जा सकता हैं लेकिन मंत्री और उनकी अनुपस्थिति की संख्या को देखा जाए तो हर एक पार्टी को वार्निंग देने को जरूरत हैं।