बिसलेरी ने प्लास्टिक प्रदूषण से मुकाबले के लिए भारत के पहले स्वच्छ प्लास्टिक पृथक्करण और संग्रह केंद्र की शुरुआत की

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मुंबई, 5 जून 2021 : भारत का प्लास्टिक प्रदूषण बेहद गंभीर चुनौती है। इसे समझने के लिए इस स्थिति पर विचार करें : 2019-2020 के दौरान देश में 26,000 टन प्लास्टिक कचरा पैदा हुआ, जिसमें से केवल 60 प्रतिशत को ही पुनर्चक्रण में लाया जा सका। शेष 40 प्रतिशत कचरा भराव क्षेत्र में चला गया और जल धाराओं या भूजल में प्रदूषक के रूप में शामिल हो गया (स्रोत : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड)। इसकी प्रमुख वजह यह रही कि प्लास्टिक को ऐसी गंदी स्थिति में फेंका गया जिसे दुबारा इस्तेमाल में लाए जाने के लिए चुना नहीं जा सका और वह गंदगी के तौर पर पड़ा रह गया। इस विश्व पर्यावरण दिवस पर उद्योग जगत की अग्रणी कंपनी और भारत के सबसे भरोसेमंद बोतलबंद पेयजल ब्रांड, बिसलेरी ने मरोल, मुंबई में भारत के प्रथम स्वच्छ प्लास्टिक पृथक्करण और संग्रह केंद्र की शुरुआत की है। बिसलेरी स्वच्छ और हरित पर्यावरण की दिशा में लगतार सक्रिय रूप से काम करता रहा है।
बिसलेरी शोकेस सेंटर इस कंपनी की बदलाव के लिए बोतल कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 2017 में की गई थी और इसका मकसद उपभोक्ताओं के बीच प्लास्टिक प्रदूषण और प्लास्टिक कचरे के उचित तरीके से निस्तारण के बारे में जागरूक करना था। अपनी शुरुआत से बिसलेरी 6,500 टन प्लास्टिक को दुबारा इस्तेमाल में लाए जाने के योग्य बना चुकी है। इसके अलावा कंपनी स्थानीय सरकारी निकायों के साथ काम करती रही है ताकि ‘बदलाव के लिए बोतलें’ कार्यक्रम के तहत जागरूकता फैलाई जा सके।
स्वच्छ वातावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए मरोल में बने केंद्र की संकल्पना पृथक्ककरण के भविष्य पर आधारित है। प्रति माह 25 टन प्रयुक्त प्लास्टिक को संसाधित करने की क्षमता के साथ यह संयंत्र एमसीजीएम (बृहन्मुम्बई महानगरपालिका) के-ईस्ट वार्ड द्वारा प्रदान किए गए भूखंड पर 2,400 वर्ग फुट में बनाया गया है। यह सुविधा बताती है कि प्लास्टिक को सही तरह से अलग कर और उसके निस्तारण के जरिए प्रदूषण की समस्या से कैसै निपटा जा सकता है। आंतरिक हिस्से का निर्माण 1,50,000 एमएलपी (मल्टी-लेयर प्लास्टिक) पुनर्चक्रित बैग (बिस्किट, चिप्स और चॉकलेट रैपर) का उपयोग करके बनाया गया है। 100 वर्ग फुट क्षेत्र के लिए 100 किलोग्राम पुनर्चक्रित हार्ड प्लास्टिक ब्लॉक (हार्ड प्लास्टिक जैसे कि, जूस कंटेनर, खाद्य कंटेनर, खिलौने, शैम्पू, कंडीशनर की बोतलें, आदि) का उपयोग प्रवेश रैंप के निर्माण के लिए किया गया है, जो 30 टन वाहनों के बराबर भार सहने में सक्षम है।
यह क्रांतिकारी संयंत्र प्लास्टिक को अलग करने और उसे दुबारा इस्तेमाल किए जाने योग्य बनाने के केंद्र के तौर पर लोगों को शिक्षित करने का भी काम करेगा। यह संयंत्र आदतन परिवर्तन, विभिन्न रीसाइक्लिंग प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्रदर्शित करता है और उन उत्पादों की एक श्रृंखला भी प्रदर्शित करता है जिन्हें पुनर्चक्रित प्लास्टिक का उपयोग करके बनाया जा सकता है। इस पूरी प्रक्रिया में बेहतर दिखने के विचार को भी अपनाया गया है। प्लास्टिक को सीधे पुनर्चक्रण के लिए भेजे जाने से पहले इसके प्रसंस्करण के लिए संयंत्र में एक कन्वेयर बेल्ट और बेलिंग मशीन भी लगी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हरित प्लास्टिक एजेटों के लिए स्वच्छ परिवेश और स्वच्छ कार्य परिस्थिति भी मुहैया कराता है।
मरोल में बिसलेरी शोकेस सेंटर की शुरुआत के मौके पर बिसलेरी इंटरनैशनल प्राइवेट लिमिटेड की डायरेक्टर (मार्केटिंग और सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी), सुश्री अंजना घोष ने कहा कि, “बिसलेरी पिछले चार वर्षों से प्लास्टिक प्रबंधन की दिशा में पूरी लगन से काम कर रहा है। हमारा लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में 10,000 मीट्रिक टन से अधिक का पुनर्चक्रण करना और उससे आगे जाना है। हमने मुंबई, दिल्ली और चेन्नई जैसे शहरों में विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए हैं, जहाँ हम हाउसिंग सोसाइटियों, कॉरपोरेट्स और स्कूलों में शैक्षिक गोष्ठियों के माध्यम से जागरूकता पैदा करने का काम करते हैं। हम इस व्यापक धारणा को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं कि अकेले प्लास्टिक पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाता है। हमारा उद्देश्य जनता को शिक्षित करना है कि प्लास्टिक अपने आप में हानिकारक नहीं है, बल्कि वह इसके निस्तारण का तरीका है जिससे फर्क पड़ता है। बिसलेरी शोकेस सेंटर हमारे ‘बदलाव के लिए बोतलें’ आंदोलन में एक मील का पत्थर है और नागरिकों, विशेष रूप से हमारी आने वाली पीढ़ियों को प्लास्टिक की अंतहीन और असीमित क्षमता के लिए पृथक्करण और उसकी पुनर्चक्रण के बारे में शिक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
इस परियोजना का उद्देश्य समाज की आदतों में बदलाव लाना है ताकि लोग प्लास्टिक को साफ कर सकें, प्लास्टिक को अपने कचरे से अलग कर सकें और इसे रीसाइक्लिंग योग्य बनाने के लिए भेज सकें। बिसलेरी का मानना है कि समाज के लिए यह आवश्यक है कि वह प्लास्टिक को कचरा मानना बंद करे और उसे जिम्मेदारी से निपटाने के समाधान ढूंढे। बिसलेरी का बहु-शहरी जागरूकता अभियान नागरिकों, कॉरपोरेट्स और संस्थानों तक फैला हुआ है। कंपनी मुंबई नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम, पनवेल नगर निगम, ठाणे नगर निगम, नवी मुंबई नगर निगम और वसई विरार नगर निगम के साथ सक्रिय रूप से काम कर रही है।
सुश्री घोष ने आगे कहा कि, “इस साल ‘स्वच्छ सर्वेक्षण अभियान’ के एक हिस्से के रूप में दिल्ली ने दक्षिण, पूर्वी और उत्तरी दिल्ली (एसडीएमसी, ईडीएमसी और एनडीएमसी) में विभिन्न नगर निगमों के माध्यम से प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और कचरा प्रबंधन शिक्षा को अपनाया है। प्राधिकरण ‘बदलाव के लिए बोतलें’ की हमारी पहल में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, जो हमारे प्रयासों का नतीजा है। हमें उम्मीद है कि यह अन्य शहरों में भी स्थानीय अधिकारियों को प्रोत्साहित करेगा।”
दो सालों से अधिक समय से ‘बदलाव के लिए बोतलें’ अभियान का हिस्सा रहे मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई में नगरपालिका प्राधिकरण ने अब सकारात्मक बदलाव और प्लास्टिक अलगाव और निपटान से सम्बंधित धारणाओं में सकारात्मक और क्रमिक बदलाव देखा जा रहा है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग, के-ईस्ट वार्ड, एमसीजीएम के एई, पंकज घोंगे ने कहा कि, “हम स्रोत स्थल पर ही स्वच्छ तरीके से प्लास्टिक पृथक्करण की दिशा में प्रयास करने के लिए बिसलेरी को बधाई देते हैं। हम कंपनी के साथ दो साल से अधिक समय से जुड़े हुए हैं और यह केंद्र ‘बदलाव के लिए बोतलें’ के एक हिस्से के रूप में जमीनी स्तर पर जागरूकता का परिणाम है। स्वच्छ प्लास्टिक का स्रोत पृथक्करण और पुनर्चक्रण प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित वर्तमान परिदृश्य का समाधान है।”
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) नवी मुंबई नगरनिगम के उप नगर आयुक्त, डॉ. बाबासाहेब राजले ने कहा कि, “बिसलेरी की ‘बदलाव के लिए बोतलें’ नवी मुंबई में दो साल से अधिक समय से लागू है। इसने प्रयुक्त प्लास्टिक प्रबंधन और निपटान के उचित तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने में मदद की है। इस अभियान को लेकर नागरिकों की प्रतिक्रिया उत्साहजनक रही है। दरअसल इस साल हमने विभिन्न हाउसिंग सोसायटियों को पत्र लिखकर उन्हें अपने परिसर में इसे लागू करने का आग्रह किया था। व्यवहार में बदलाव लाना एक मुश्किल काम है और यह टीम इसे सफलतापूर्वक कर रही है।”
इस पहल के बारे में ठाणे नगर निगम, ठाणे की प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी मनीषा मदन प्रधान ने कहा कि, “ठाणे नगर निगम दो साल से अधिक समय से बिसलेरी की ‘बदलाव के लिए बोतलें’ के साथ काम कर रहा है। इस कार्यक्रम से उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करने में हमें काफी मदद मिली है। यहाँ मुख्य अंतर यह है कि नागरिकों को निर्देश दिया जाता है कि वे प्लास्टिक को खुद ही अलग करें और फिर रीसाइक्लिंग के लिए भेजें। इससे हमारे संसाधनों पर बोझ कम हुआ है क्योंकि हम निवासियों के साथ मिलकर काम करने में सक्षम हैं। इस पहल के माध्यम से हम 200 टन प्लास्टिक को पुनर्चक्रण के लिए भेजने में सफल रहे हैं। ऐसा नहीं होने की स्थिति में यह कचरे भराव का रूप ले लेता।”
पनवेल नगर निगम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विभाग के सहायक आयुक्त, धैर्यशील जाधव ने कहा कि, “हमने हाल ही में बिसलेरी को पनवेल नगर निगम के तहत ‘बदलाव के लिए बोतलें’ कार्यक्रम को लागू करने की अनुमति दी है। हम इसे सफल बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं क्योंकि यह ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के अनुरूप है। हम प्रत्येक नागरिक को छोटे-छोटे कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि वह उपयोग के बाद प्लास्टिक को साफ और अलग कर इसकी शुरुआत करें।”
बदलाव के लिए बोतलें अभियान के माध्यम से बिसलेरी ने 600 से अधिक जागरूकता सत्रों के जरिए 6 लाख से अधिक व्यक्तियों, 800 हाउसिंग सोसायटियों, 400 स्कूलों और कॉलेजों, 500 होटलों और रेस्त्राँओं और 500 कॉरपोरेट्स तक पहुंच बनाई है। इस कार्यक्रम ने प्लास्टिक एजेंटों के लिए विभिन्न हितधारकों के माध्यम से स्वच्छ प्लास्टिक (कठोर और मुलायम) एकत्र करने के लिए माध्यम और अवसर को सृजित किया है। पुनर्चक्रण के लिए स्वच्छ प्लास्टिक एकत्र करने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देना और हरित प्लास्टिक एजेंटों को सशक्त बनाने में मदद करना है।
बिसलेरी ने इंडियन ऑइल, पश्चिमी रेलवे, मुंबई विश्वविद्यालय के एनएसएस विंग, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, गोदरेज, जेपी मॉर्गन और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसे कॉरपोरेट्स के साथ भी काम किया है। बिसलेरी वर्तमान में चेन्नई में पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, सुंदरम मेडिकल फाउंडेशन एवं अन्य लोगों के साथ काम कर रही है।

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