22% छात्रों ने बेड पर बैठे-बैठे ऑनलाइन क्‍लासेज किये, 14% ने फर्श पर बैठकर ऑनलाइन क्‍लास किये: गोदरेज इंटेरियो अध्‍ययन

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22% छात्रों ने बेड पर बैठे-बैठे ऑनलाइन क्‍लासेज किये, 14% ने फर्श पर बैठकर ऑनलाइन क्‍लास किये: गोदरेज इंटेरियो अध्‍ययन
गलत पॉश्‍चर बच्‍चों के दीर्घकालिक शारीरिक और मानसिक विकास में चिंता का क्‍यों विषय है, यह जानने के लिए शिक्षाविदों और स्‍वास्‍थ्‍य सेवा विशेषज्ञों के साथ वेबिनार आयोजित किया गया
मुंबई, 24 जून 2021: गोदरेज एंड बॉयस, जो गोदरेज ग्रुप की प्रतिष्ठित कंपनी है, ने आज घोषणा की कि इसके बिजनेस गोदरेज इंटेरियो – जो भारत का अग्रणी फ़र्नीचर समाधान ब्रांड है – ने हाल ही में कराये गये अपने एक सर्वेक्षण में पाया है कि घर से पढ़ाई करने वाले बच्‍चों को खराब पॉश्‍चर के चलते दीर्घकालिक मानसिक एवं शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का सामना करना पड़ रहा है।
गोदरेज इंटेरियो की वर्कप्‍लेस एंड अर्गोनॉमिक्‍स रिसर्च सेल के ‘घर से पढ़ाई कर रहे बच्‍चों की देखभाल’ (टेकिंग केयर ऑफ चिल्‍ड्रेन ऐज दे लर्न फ्रॉम होम) विषयक अध्‍ययन में देश भर के 3-15 वर्ष के आयु वर्ग वाले 350 स्‍कूली बच्‍चों के घर से स्‍कूल की पढ़ाई करने संबंधी व्‍यवहार का अध्‍ययन किया गया। इस अध्‍ययन में शामिल अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्‍चों ने दिन भर में कम-से-कम 4-6 घंटों तक गैजेट्स का इस्‍तेमाल किया, जो कि लॉकडाउन के चलते स्‍कूल बंद होने से पहले उनके द्वारा गैजेट्स का उपयोग किये जाने के समय की तुलना में 2-3 घंटे अधिक है। इस बढ़े हुए स्‍क्रीन टाइम के चलते बच्‍चों में शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का खतरा बढ़ सकता है। अध्‍ययन में इस बात का भी खुलासा हुआ कि 52 प्रतिशत बच्‍चों की ऑनलाइन कक्षाएं रोजाना थीं, जबकि 36 प्रतिशत बच्‍चों की ऑनलाइन कक्षाएं हफ्ते में चार बार थीं, और परिणामस्‍वरूप, 41 प्रतिशत बच्‍चों ने आंख स जुड़ी समस्‍याओं (आई स्‍ट्रेन) की शिकायत की।
प्रतिक्रियास्‍वरूप, गोदरेज इंटेरियो ने ‘हेल्पिंग चिल्‍ड्रेन एडेप्‍ट टू लर्निंग फ्रॉम होम’ विषयक वेबिनार आयोजित किया। इस वेबिनार के जरिए अभिभावकों और केयर गिवर्स को घर से पढ़ाई के दौरान बच्‍चों के संपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आवश्‍यक वातावरण तैयार करने के सर्वोत्‍तम तरीकों के बारे में जानकारी दी गयी, चूंकि महामारी के रोकथाम के लिए राज्‍य सरकारों द्वारा माइक्रो-लॉकडाउन्‍स लगाये रखने हेतु निर्देशित किया गया है। वेबिनार में अर्गोनॉमिक लर्निंग स्‍पेसेज के महत्‍व, सेंसरी डाइट्स और शारीरिक गतिविधि की आवश्‍यकता को भी रेखांकित किया गया, जिससे कि बच्‍चों की पढ़ाई के लिए सेहतमंद परिवेश का निर्माण किया जा सके।
आज के आयोजित सत्र में 1700+ से अधिक पंजीकृत प्रतिभागियों ने हिस्‍सा लिया। वेबिनार में अग्रणी शिक्षाविदों और स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों ने प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया और प्रशंसनीय समाधान सुझाये ताकि अभिभावकों को उनके प्रयास में मदद मिल सके।
वेबिनार का संचालन ले. कर्नल ए शेखर, सीडीओ, जागरण एजुकेशन फाउंडेशन ने किया। सिद्धार्थ राजगढि़या – निदेशक, डीपीएस नासिक, वाराणसी और लावा नागपुर, लीना अशार – सह-संस्‍थापक, कोर्रोबोरी, चांदनी भगत – चाइल्‍ड साइकोलॉजिस्‍ट, फातेमा अगरकर, अगरकर सेंटर ऑफ एक्‍सेलेंस एवं डॉ. रीना वालेचा – प्रिंसिपल अर्गोनॉमिस्‍ट – वर्कप्‍लेस एंड अर्गोनॉमिक्‍स रिसर्च सेल, गोदरेज इंटेरियो इस वेबिनार के पैनल में प्रमुख रूप से शामिल रहे। एक घंटे तक चले इस विचारपूर्ण वेबिनार में, पैनलिस्‍टों ने कई प्रमुख विषयों जैसे होम-स्‍कूलिंग बिहैवियर, बच्‍चों के बैठने की सही मुद्रा (पॉश्‍चर), खुली जगहों से अध्‍ययन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में अपने विचार व्‍यक्‍त किये। उन्‍होंने सेंसरी ब्रेक्‍स और अच्‍छी-पुरानी पेंसिल एवं कागज के उपयोग के साथ-साथ लर्निंग के फीजिकल-वर्चुअल हाइब्रिड मॉडल के महत्‍व के बारे में भी अपने विचार रखे, चूंकि ऑनलाइन लर्निंग हमारे अनुमान विपरीत संभवत: अधिक समय तक टिका रह सकता है। डॉ. रीना वालेचा ने कुछ आसान तरीके भी साझा किये जिनसे अभिभावक और केयर गिवर्स बच्‍चों की पढ़ाई के लिए सेहतमंद शिक्षण परिवेश सुनिश्चित कर सकते हैं। साथ ही, उन्‍होंने गलत पॉश्‍चर में पढ़ाई करने के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में भी बताया और कहा कि इसके चलते मस्‍क्‍यूस्‍केलेटल डिसऑर्डर्स हो सकते हैं।
गोदरेज इंटेरियो हमेशा से जीवन, शिक्षा और शौक वाली चीजों के लिए स्‍पेस तैयार करने पर जोर देता रहा है। अपने द्वारा सह‍ज समझ से डिजाइन किये गये उत्‍पादों एवं समाधानों के जरिए, वो अपने ग्राहकों के जीवन की गुणवत्‍ता को हर रोज और हर जगह समृद्ध बनाने की इच्‍छा रखते हैं। इनका वर्कप्‍लेस एंड अर्गोनॉमिक्‍स रिसर्च सेल नियमित रूप से ऐसे अध्‍ययन कराता रहता है जो ग्राहकों के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण होते हैं, ताकि गोदरेज इंटेरियो उन्‍हें प्राप्‍त जानकारी को साझा कर सके और स्‍वस्‍थ अर्गोनॉमिक व्‍यवहारों को बढ़ावा दे सके। यह वेबिनार अग्रणी विशेषज्ञों के अनेक दृष्टिकोणों को प्रदान करने की दिशा में एक कदम है जो कि अभिभावकों एवं केयरगिवर्स को उनके बच्‍चों के लिए अर्गोनॉमिक लर्निंग स्‍पेस डिजाइन करने में असली लाइफगाइड का काम करेगा।
गोदरेज इंटेरियो अपने उत्‍पादों एवं समाधानों की विविधतापूर्ण रेंज के साथ 30 वर्षों से शिक्षा उद्योग को सहयोग देता रहा है और यह 15,000 से अधिक शैक्षणिक संस्‍थानों को सेवा प्रदान कर चुका है।
Note to the editor: Please refer to the annexure for quotes from our panellists and spokesperson.
Quotes Annexure
अगरकर सेंटर ऑफ एक्‍सेलेंस (एसीई) की संस्‍थापक, फातेमा अगरकर ने कहा, ”वर्चुअल स्‍कूल समर्थित ‘शिक्षा’ तमाम बाधाओं के बावजूद जारी रहेगी, महत्‍वपूर्ण कौशलों का विकास होगा, और अधिकांश प्रगतिशील स्‍कूलों एवं परिवारों के लिए, यह वर्ष अनुकूलन का वर्ष रहा, चूंकि घरों ने ‘स्‍कूलों’ का रूप ले लिया और स्‍कूलों ने छात्रों को सशक्‍त बनाने के लिए तकनीकी मंचों को अपनाया। समायोजन और क्षमताओं का निर्माण जीवन क्रम बन गया, और इस नये नॉर्मल को देखते हुए ढेर सारी चीजों को नये सिरे से डिजाइन करना पड़ा, उनके बारे में दोबारा वि漮चार करना पड़ा और संतुलन स्‍थापित करने के लिए अनेक चीज़ें करनी पड़ी। गोदरेज इंटेरियो के व्‍हाइटपेपर ‘टेकिंग केयर ऑफ चिल्‍ड्रेन ऐज दे लर्न फ्रॉम होम’ जैसे संसाधन आपको ऐसे नये-नये तरीके बता सकते हैं जिनसे वर्चुअल लर्निंग द्वारा हमारे पास लाये गये अवसरों का लाभ उठाया जा सके।”
कोर्रोबोरी के सह-संस्‍थापक, लीना अशार ने कहा, ”यदि इस वक्‍त ने हमें कुछ सिखलाया है, तो वह है लचीली सोच, दक्षता, अनुकूलनशीलता, समानुभूति, स्‍वजागरूकता, स्‍वनियमन, केंद्राभिमुखता एवं सृजनशीलता और ये बातें गणित, अंग्रेजी, इतिहास एवं भूगोल से ज्‍यादा जरूरी है। यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम स्थितियों एवं परिस्थितियों को किस रूप में देखें, हमारे बच्‍चे भी यही करेंगे, क्‍योंकि वो अपने माता-पिता का ही अनुसरण करेंगे। यह हमारे ऊपर है कि हम टेक्‍नोलॉजी को किस रूप में देखते हैं; यह हमारे भावनात्‍मक स्‍वास्‍थ्‍य एवं कल्‍याण, शिक्षा एवं प्रेरणा की गुणवत्‍ता को बेहतर बना रही है या उसे कमतर कर रही है। हम जिस रूप में इसे देखेंगे वही दृष्टिकोण इनके उपयोग एवं परिणाम के संदर्भ में बदलाव लायेगा। गोदरेज इंटेरियो का व्‍हाइट पेपर ‘टेकिंग केयर ऑफ चिल्‍ड्रेन ऐज दे लर्न फ्रॉम होम’ जैसे संसाधन ऐसे अत्‍यावश्‍यक उपकरण हैं जो हमें सूचनाओं से सशक्‍त बनाएंगे और हम अपने बच्‍चों के लिए सही निर्णय ले सकेंगे।”

मशहूर चाइल्‍ड साइकोलॉजिस्‍ट, चांदनी भगत ने कहा, ”वर्तमान महामारी बच्‍चों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रही है। चूंकि वो लगातार दूसरे साल होम-स्‍कूलिंग कर रहे हैं, ऐसे में वो गंभीर समस्‍याओं से जूझ रहे हैं जिनके बारे में खुलकर बता पाने में हो सकता है कि वो खुद को असमर्थ पा रहे हों। गोदरेज इंटेरियो का व्‍हाइटपेपर ‘टेकिंग केयर ऑफ चिल्‍ड्रेन ऐज दे लर्न फ्रॉम होम’ स्‍वस्‍थ होम-स्‍कूलिंग अनुभव को बढ़ावा देने की आवश्‍यकता को रेखांकित करता है।”
वेबिनार के बारे में टिप्‍पणी करते हुए, समीर जोशी, हेड – एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट, मार्केटिंग (बी2बी), गोदरेज इंटेरियो ने कहा, ”महामारी की अनिश्चिततापूर्ण स्थिति के चलते, आज माता-पिता और बच्‍चे होम-स्‍कूलिंग के लिए बाध्‍य हैं और संभवत: यह स्थिति निकट भविष्‍य में जाने वाली नहीं है। हालांकि, शिक्षा का यह नया मॉडल जितना सुरक्षित है, कई मायने में यह उतना ही चुनौतीपूर्ण भी है। अभिभावक प्राय: अपने बच्‍चों को लैपटॉप/कंप्‍यूटर स्‍क्रीन पर झुककर लेक्‍चर्स सुनते और उनके असाइनमेंट्स पूरा करते हुए देखते हैं। इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की यह कमी, पढ़ाई-लिखाई के समय अजीबोगरीब पॉश्‍चर्स एवं सीमित शारीरिक गतिविधियां कम उम्र में ही बच्‍चों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी खतरे पैदा करती हैं। हमारे व्‍हाइटपेपर ‘टेकिंग केयर ऑफ चिल्‍ड्रेन ऐज दे लर्न फ्रॉम होम’ में हमारे द्वारा जितने बच्‍चों पर सर्वेक्षण किया गया उनमें से 53 प्रतिशत बच्‍चों ने माना कि ऑनलाइन कक्षाओं के चलते दिन के अंत तक वो पूरी तरह से थक जाते हैं। हम उम्‍मीद करते हैं कि व्‍यापक रूप से शोध किये गये इन संसाधनों को अभिभावकों एवं शिक्षकों द्वारा समान रूप से व्‍यापक रूप में उपयोग किया जायेगा और वो इसकी मदद से बच्‍चों के लिए बेहतर शिक्षण वातावरण तैयार करेंगे। अध्‍ययन वातावरण में किये जा सकने योग्‍य ये छोटे-छोटे बदलाव, जो व्‍यापक रूप से व्‍हाइटपेपर में दिये गये हैं, दीर्घकालिक रूप से बच्‍चों को स्‍वस्‍थ एवं खुशहाल रखने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।”

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